मंगलवार, 5 मई 2015

muktika (hindi gazal) - sanjiv,

मुक्तिका (हिंदी ग़ज़ल) :

चूक जाओ न

चूक जाओ न ghazal
Photo by Vincepal 
चूक जाओ न, जीत जाने से
कुछ न पाओगे दिल दुखाने से
काश! ख़ामोश हो गये होते
रार बढ़ती रही बढ़ाने से
बावफ़ा थे, न बेवफ़ा होते
बात बनती है, मिल बनाने से
घर की घर में रहे तो बेहतर है
कौन छोड़े हँसी उड़ाने से?
ये सियासत है, गैर से बचना
आज़माओ न आज़माने से
जिसने तुमको चुना नहीं बेबस
आयेगा फिर न वो बुलाने से
घाव कैसा हो, भर ही जाता है
दूरियाँ मिटती हैं भुलाने से

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