मुक्तिका (हिंदी ग़ज़ल)
बात कर
निर्जीव को संजीव बनाने की बात कर
हारे हुओं को जंग जिताने की बात कर
हारे हुओं को जंग जिताने की बात कर
‘भू माफ़िये’! भूचाल कहे, ‘मत ज़मीं दबा
जो जोड़ ली है उसको लुटाने की बात कर’
जो जोड़ ली है उसको लुटाने की बात कर’
‘आँखें मिलायें’ मौत से कहती है ज़िंदगी
आ मारने के बाद जलाने की बात कर
आ मारने के बाद जलाने की बात कर
तूने गिराये हैं मकां बाकी हैं हौंसले
कांटों के बीच फूल खिलाने की बात कर
कांटों के बीच फूल खिलाने की बात कर
हे नाथ पशुपति! रूठ मत तू नीलकंठ है
हमसे ज़हर को अमिय बनाने की बात कर
हमसे ज़हर को अमिय बनाने की बात कर
पत्थर से कलेजे में रहे स्नेह ‘सलिल’ भी
आ वेदना से गंगा बहाने की बात कर
आ वेदना से गंगा बहाने की बात कर
नेपाल पालता रहा विश्वास हमेशा
चल इस धरा पे स्वर्ग बसाने की बात कर
चल इस धरा पे स्वर्ग बसाने की बात कर
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