कुण्डलिनी
आचार्य संजीव 'सलिल', संपादक दिव्य नर्मदा
करुणा संवेदन बिना, नहीं काव्य में तंत..
करुणा रस जिस ह्रदय में वह हो जाता संत.
वह हो जाता संत, न कोई पीर परायी.
आँसू सबके पोंछ, लगे सार्थकता पाई.
कंकर में शंकर दिखते, होता मन-मंथन.
'सलिल' व्यर्थ है गीत, बिना करुणा संवेदन.
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http://divyanarmada.blogspot.com/
शनिवार, 9 जनवरी 2010
बुधवार, 6 जनवरी 2010
सरस्वती वंदना : २ -संजीव 'सलिल'
सरस्वती वंदना : २
संजीव 'सलिल'
*
हे हंसवाहिनी!, ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे...
*
जग सिरमौर बने माँ भारत.
सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.
नव बल-विक्रम दे...
*
साहस-शील ह्रदय में भर दे.
जीवन त्याग-तपोमय कर दे.
स्वाभिमान भर दे...
*
लव-कुश, ध्रुव-प्रह्लाद हम बनें.
मानवता का त्रास-तम हरें.
स्वार्थ विहँस तज दें...
*
दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा.
घर-घर हों, काटें हर बाधा.
सुख-समृद्धि सरसे...
*
नेह-प्रेम की सुरसरि पावन.
स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.
'सलिल' निरख हरषे...
***
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
Acharya Sanjiv Salil
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संजीव 'सलिल'
*
हे हंसवाहिनी!, ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे...
*
जग सिरमौर बने माँ भारत.
सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.
नव बल-विक्रम दे...
*
साहस-शील ह्रदय में भर दे.
जीवन त्याग-तपोमय कर दे.
स्वाभिमान भर दे...
*
लव-कुश, ध्रुव-प्रह्लाद हम बनें.
मानवता का त्रास-तम हरें.
स्वार्थ विहँस तज दें...
*
दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा.
घर-घर हों, काटें हर बाधा.
सुख-समृद्धि सरसे...
*
नेह-प्रेम की सुरसरि पावन.
स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.
'सलिल' निरख हरषे...
***
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रविवार, 3 जनवरी 2010
गीतिका: तितलियाँ --संजीव 'सलिल'
गीतिका
तितलियाँ
संजीव 'सलिल'
*
यादों की बारात तितलियाँ.
कुदरत की सौगात तितलियाँ..
बिरले जिनके कद्रदान हैं.
दर्द भरे नग्मात तितलियाँ..
नाच रहीं हैं ये बिटियों सी
शोख-जवां ज़ज्बात तितलियाँ..
बद से बदतर होते जाते.
जो, हैं वे हालात तितलियाँ..
कली-कली का रस लेती पर
करें न धोखा-घात तितलियाँ..
हिल-मिल रहतीं नहीं जानतीं
क्या हैं शाह औ' मात तितलियाँ..
'सलिल' भरोसा कर ले इन पर
हुईं न आदम-जात तितलियाँ..
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तितलियाँ
संजीव 'सलिल'
*
यादों की बारात तितलियाँ.
कुदरत की सौगात तितलियाँ..
बिरले जिनके कद्रदान हैं.
दर्द भरे नग्मात तितलियाँ..
नाच रहीं हैं ये बिटियों सी
शोख-जवां ज़ज्बात तितलियाँ..
बद से बदतर होते जाते.
जो, हैं वे हालात तितलियाँ..
कली-कली का रस लेती पर
करें न धोखा-घात तितलियाँ..
हिल-मिल रहतीं नहीं जानतीं
क्या हैं शाह औ' मात तितलियाँ..
'सलिल' भरोसा कर ले इन पर
हुईं न आदम-जात तितलियाँ..
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