रविवार, 10 जून 2012

मुक्तिका: चूहे करते रोज धमाल... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
चूहे करते रोज धमाल...
संजीव 'सलिल'
*

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हुआ रसोई में भूचाल.
चूहे करते रोज धमाल..
*
रोटी करने चली निकाह
हाथ न लेकिन आयी दाल..
*
तसला ले या पकड़ कुदाल.
काम न लेकिन कल पर टाल..

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औरों की माँ-बहिनें क्यों
बोल तुझे लगती हैं माल?.

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खून न पानी हो पाये.
चाहे समय उधेड़े खाल..
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तोड़ न पाये समय जिसे.
उस साँचे में खुद को ढाल..
*
करनी ऐसी रहे 'सलिल'
झुके न औरों सम्मुख भाल..
***
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

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