सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

शब्दों की दीपावली आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

शब्दों की दीपावली

जलकर भी तम हर रहे, चुप रह मृतिका-दीप.

मोती पले गर्भ में, बिना कुछ कहे सीप.

सीप-दीप से हम मनुज तनिक न लेते सीख.

इसीलिए तो स्वार्थ में लीन पड़ रहे दीख.

दीप पर्व पर हों संकल्पित रह हिल-मिलकर.

दें उजियारा आत्म-दीप बन निश-दिन जलकर.

- छंद अमृतध्वनि

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