स्वाधीनता दिवस पर विशेष रचना:
आचार्य संजीव 'सलिल'
स्वतंत्र विश्व के स्वतंत्र वासियों को शत नमन.
स्वतंत्र ही रहे फिजा, स्वतंत्र ही रहे चमन.
स्वतंत्र हों, ये लक्ष्य ले, जो बढे कदम-कदम.
स्वतंत्र नहीं, देख जिनके दिल दुखे, थीं आँख नम.
स्वतंत्र दीप-शिख जलाने जिनने सर कटा दिए.
स्वतंत्रता-प्रकाश पाने खुद के घर जला दिए.
स्वतंत्रता के दीवानों को मौत भी थी जिंदगी.
स्वतंत्रता ही धर्म-कर्म, दीन-ईमां बंदगी.
स्वतंत्र मौत जिंदगी, गुलाम जिंदगी मरण.
स्वतंत्र स्वप्न सत्य हों, गुलाम सत्य विस्मरण.
स्वतंत्र आज हम हैं जिनके त्याग औ' बलिदान से.
स्वतंत्र जी रहे उठाये सर जहां में शान से.
स्वतंत्रता दिवस उन्हें नमन करो, नमन करो.
स्वतंत्रता पे जां लुटा के सार्थक जनम करो.
स्वतंत्रता का अर्थ नहीं आपसी टकराव है.
स्वतंत्र हैं सभी तभी जब आपसी लगाव है.
स्वतंत्र भारती उतारो आज मिल के आरती.
स्वतंत्रता की नर्मदा परम पवित्र तारती.
स्वतंत्र देश-वेश, भाषा-भाव भी पवित्र हैं.
स्वतंत्र मरण ही स्वतंत्र जिंदगी का मंत्र है.
जय जवान! जय किसान!!
जय विज्ञानं! देश महान!!
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