गीत
आचार्य संजीव 'सलिल'
संकट में,
हिम्मत मत हार.
कोशिश का
खुला रहे द्वार....
शूल बीन
फूल नित बिखेर.
हो न दीन,
कर नहीं अबेर.
तम को कर
सूरज बन पार....
माटी की
महक नहीं भूल.
सर न चढ़े
पैर दबी धुल.
मारों पर न
करना तू वार...
कल को दे
कल से अब जोड़.
नातों को
पल में मत तोड़.
कलकल कर
बहे 'सलिल'-धार...
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आचार्य जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्तम रचना . आभार .
बहुत बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंवाह !! अतिसुन्दर उत्साहवर्द्धक रचना..
जवाब देंहटाएंनमस्ते आचार्य जी,
जवाब देंहटाएंनवगीत की पाठशाला से भी जुड़ें तो आपकी टिप्पणियों से नवगीतकारों के विकास का महत्वपूर्ण काम हो सकेगा। http://navgeetkipathshala.blogspot.com पर आपका स्वागत है।