गीत
कागा आया है
जयकार करो,
जीवन के हर दिन
सौ बार मरो...
राजहंस को
बगुले सिखा रहे
मानसरोवर तज
पोखर उतरो...
सेवा पर
मेवा को वरीयता
नित उपदेशो
मत आचरण करो...
तुलसी त्यागो
कैक्टस अपनाओ
बोनसाई बन
अपनी जड़ कुतरो...
स्वार्थ पूर्ति हित
कहो गधे को बाप
निज थूका चाटो
नेता चतुरों...
कंकर में शंकर
हमने देखा
शंकर को कंकर
कर दो ससुरों...
मात-पिता मांगे
प्रभु से लडके
भूल फ़र्ज़, हक
लड़के लो पुत्रों...
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काव्य के माध्यम से यथार्थ का सार्थक चिंतन प्रस्तुत किया है आपने. बहुत ही सुन्दर कविता है..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग !!!
जवाब देंहटाएंवाह !!!
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Thanks for share your nice post.
जवाब देंहटाएंবাসা বদল