नवगीत :
ओढ़ कुहासे की चादर
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
ओढ़ कुहासे की चादर,
धरती लगाती दादी।
ऊँघ रहा सतपुडा,
लपेटे मटमैली खादी...
सूर्य अंगारों की सिगडी है,
ठण्ड भगा ले भैया।
श्वास-आस संग उछल-कूदकर
नाचो ता-ता थैया।
तुहिन कणों को हरित दूब,
लगती कोमल गादी...
कुहरा छाया संबंधों पर,
रिश्तों की गरमी पर।
हुए कठोर आचरण अपने,
कुहरा है नरमी पर।
बेशरमी नेताओं ने,
पहनी-ओढी-लादी...
नैतिकता की गाय काँपती,
संयम छत टपके।
हार गया श्रम कोशिश कर,
कर बार-बार अबके।
मूल्यों की ठठरी मरघट तक,
ख़ुद ही पहुँचा दी...
भावनाओं को कामनाओं ने,
हरदम ही कुचला।
संयम-पंकज लालसाओं के
पंक-फँसा-फिसला।
अपने घर की अपने हाथों
कर दी बर्बादी...
बसते-बसते उजड़ी बस्ती,
फ़िर-फ़िर बसना है।
बस न रहा ख़ुद पर तो,
परबस 'सलिल' तरसना है।
रसना रस ना ले,
लालच ने लज्जा बिकवा दी...
हर 'मावस पश्चात्
पूर्णिमा लाती उजियारा।
मृतिका दीप काटता तम् की,
युग-युग से कारा।
तिमिर पिया, दीवाली ने
जीवन जय गुंजा दी...
*****
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Waah ! Waah ! Waah ! aur kya kahun?
जवाब देंहटाएंआदरणीय 'सलिल'जी
जवाब देंहटाएंसादर स्नेहाभिवादन
बहुत- सुन्दर गीत प्रस्तुत करने के लिए आभार
.हर 'मावस पश्चात्
पूर्णिमा लाती उजियारा।
मृतिका दीप काटता तम् की,
युग-युग से कारा।
तिमिर पिया, दीवाली ने
जीवन जय गुंजा दी...
बहुत बधाई.
सादर
द्विज
Send Valentine's Day Gifts Online
जवाब देंहटाएंBest Valentine's Day Gifts Online
जवाब देंहटाएंSend Valentines Day Roses to Delhi Online
जवाब देंहटाएंSend Valentines Day Gifts to Gurgaon Online
Send Valentine Flowers to Pune Online
Send Valentine Roses to Bangalore Online
Send Valentines Day Roses to Mumbai Online