मंगलवार, 27 जनवरी 2009

गीत

आशीषों की छाँव कहाँ है?...

सिसक रहा बेबस अंतर्मन,
दुनिया लगती है बेमानी।
कहाँ गयीं मेरी प्यारी माँ?
तुम सचमुच थीं लासानी।

नेह नर्मदा थीं तुम निर्मल
मुझ निर्बल का तुम थीं बल-
व्याकुल मेरे प्राण पूछते
हे ईश्वर! वह ठाँव कहाँ है?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

रक्षा कवच रहीं तुम मेरा,
दूर हमेशा किया अँधेरा।
सूरज निकले तो भी लगता-
जीवन से है दूर सवेरा।

छिप-छिप कर आँसू पीता हूँ,
झूठी हँसी रोज जीता हूँ।
गयी जहाँ हो हमें छोड़कर
बतलाओ वह गाँव कहाँ है?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

अविचल अडिग दिख रहे पापा
लेकिन मन में धीर नहीं है।
उनके एकाकी अन्तर सी-
गहरी कोई पीर नहीं है।

हाथ जोड़कर तुम्हें मनाऊँ,
आँचल में छिपकर सो जाऊँ।
जिन्हें नमन कर धन्य हो सकूँ
ऐसे माँ के पाँव कहाँ हैं?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

रूठ गयीं क्यों संतानों से?
नेह किया क्यों भगवानों से?
अपने पल में हुए पराये-
मोह हो गया अनजानों से?

भवसागर के पार गयीं
तुमहमें छोड़ इस तीर किनारे।
तुमसे हमें मिला दे मैया!
शीघ्र बताओ नाव कहाँ है?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

तुमसे पाया सदा सहारा।
अब तुमने ही हमें बिसारा।
मझधारों में छोड़ कर लिया-
चुप सबको कर दूर किनारा।

नेह नर्मदा बहे बीच में
पर हम अलग किनारों पर हैं।
जो पुरखों से सूत्र जोड़ दे
वह कागा की काँव कहाँ है?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

कोष छिन गया है ममता का-
वापिस कभी न ला पायेंगे?
माँ तेरी ममता की महिमा
ले सौ जन्म न गा पायेंगे।

शांत हुईं तुम, शान्ति खो गयी
विधि अशांति के बीज बो गयी
साँस-आस की बाजी हारे
जयी करे जो दाँव कहाँ है?
आशीषों की छाँव कहाँ है?...

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5 टिप्‍पणियां:

  1. छिप-छिप कर आँसू पीता हूँ,
    झूठी हँसी रोज जीता हूँ।
    गयी जहाँ हो हमें छोड़कर
    बतलाओ वह गाँव कहाँ है?
    आशीषों की छाँव कहाँ है?...


    आपकी इस भावप्रवण रचना ने ह्रदय भूमि को ऐसे छुआ कि आँखें नम हो गयीं...........

    मेरे पास शब्द नही हैं,रचना शौष्ठव की प्रशंशा हेतु........अद्वितीय मर्मस्पर्शी रचना....

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  2. छिप-छिप कर आँसू पीता हूँ,
    झूठी हँसी रोज जीता हूँ।
    गयी जहाँ हो हमें छोड़कर
    बतलाओ वह गाँव कहाँ है?
    आशीषों की छाँव कहाँ है?...,
    wah wah bahut khuub likha hai...,
    aacharya warma ji aapko salam..
    ishwar se prathna karta hun ki aap
    is se bhi badhiya likhen taki hamare mastisk ko kuch pousthik khurak milyi rahe... meri shubh kamnae sweekar karen.. mk

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