गीत सलिला
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
संसद थाना जा पछताना....
संसद थाना
जा पछताना....
जागा चोर
सिपाही सोया
पाया थोड़ा
ज्यादा खोया
आजादी है
कर मनमाना...
जो कुर्सी पर
बैठा, एंठा
ताश समझ
जनता को फेंटा
सच्चों को
झूठा बतलाना...
न्याय तराजू
थामे अँधा
काले कोट
कर रहे धंधा
सह अन्याय
न तू चिल्लाना...
बटमारों के
हाथ प्रशासन
लोकतंत्र है
महज दुशासन
रिश्वत नित
मनमाना खाना...
डंडा-पंडा
झंडी-झंडा
शाकाहारी कह
खा अंडा
प्रभु को दिखा
भोग ख़ुद पाना...
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अच्छे गीतों को पड़ने मिला प्रयासरत रहे धन्यवाद.
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