*
बजा बाँसुरी
झूम-झूम मन...
*
जंगल-जंगल
गमक रहा है.
महुआ फूला
महक रहा है.
बौराया है
आम दशहरी-
पिक कूकी, चित
चहक रहा है.
डगर-डगर पर
छाया फागुन...
*
पियराई सरसों
जवान है.
मनसिज ताने
शर-कमान है.
दिनकर छेड़े
उषा लजाई-
प्रेम-साक्षी
चुप मचान है.
बैरन पायल
करती गायन...
*
रतिपति बिन रति
कैसी दुर्गति?
कौन फ़िराये
बौरा की मति?
दूर करें विघ्नेश
विघ्न सब-
ऋतुपति की हो
हे हर! सद्गति.
गौरा माँगें वर
मन भावन...
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बहुत सुन्दर रचना सलिल जी बधाई .....नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाये ...
जवाब देंहटाएंbehatareen shabd rachna.
जवाब देंहटाएंbehad khubsurat.sundar shbdon ka prayog bahut achchha laga.
जवाब देंहटाएंमेरे मन में बांसुरी बज गयी....
जवाब देंहटाएंलड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....
laddoospeaks.blogspot.com
बढ़िया गीत!
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