tag:blogger.com,1999:blog-6458098795096673648.post7917854547031018505..comments2023-11-23T17:28:22.190+05:30Comments on गीत सलिला आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल': नवगीत: अभिनव प्रयोग गुलाम हैं.... -संजीव 'सलिल'Unknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6458098795096673648.post-57576605486789143972009-07-23T19:47:13.566+05:302009-07-23T19:47:13.566+05:30क्या बात कही आपने......
आपकी कलम को नमन......सत्य...क्या बात कही आपने......<br /><br />आपकी कलम को नमन......सत्य से सामना कराती अद्वितीय रचना ....पढ़वाने के लिए आभार...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6458098795096673648.post-2079581291165540782009-07-23T16:44:16.828+05:302009-07-23T16:44:16.828+05:30’एकता’
माँ की कसम
हमको हराम है..
-वाह! अद्भुत!...’एकता’<br /><br />माँ की कसम<br /><br />हमको हराम है..<br /><br /><br />-वाह! अद्भुत!!बहुत सुन्दर ..बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6458098795096673648.post-14169580026299358532009-07-23T14:32:31.178+05:302009-07-23T14:32:31.178+05:30आचार्य सलिल को मेरा शत -शत नमन ,आपके द्वारा प्राप्...आचार्य सलिल को मेरा शत -शत नमन ,आपके द्वारा प्राप्त टिप्पणी ने मेरा सम्मान और हौसला बढाया --इसी प्रकार प्रेरित करें इस सद्भावना के साथ --<br />आपकी कविता में आज की सच्चाई व दशा का सटीक वर्णन है |<br />तुम निडर थे -हम डरे हैं अपने भाई से ,<br />तुम वचन और कर्म कर <br />एक थे जिए ,<br />हमने घूँट जन्म से ही ,<br />भेद के पिए -<br />इन पंक्तियों ने मन को छू लिया ,यही तो हमारी त्रासदी है कि हम जानकार भी कुछ नहीं कर पाते |भावाभिव्यक्ति बहुत सुन्दर है |बधाई ....karunahttps://www.blogger.com/profile/00236472279067082613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6458098795096673648.post-22921350986244222292009-07-23T12:36:21.626+05:302009-07-23T12:36:21.626+05:30सलिल जी अद्भुत रचना है आपकी...सत्य को दर्शाती...वा...सलिल जी अद्भुत रचना है आपकी...सत्य को दर्शाती...वाह...नमन है आपकी लेखनी को...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com